शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
जल में, थल में और गगन में
अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में
औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में
सकल विश्व में अवचेतन में !
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन में
नगर, ग्राम में और भवन में
जीवमात्र के तन में, मन में
और जगती के हो कण कण में
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
7 comments:
Jay hind
Jay sri Ram
Jai hind jai bharat
Sangh ki sada hi jai ho
जय श्री राम
thx
Nice
गूंज उठे भारत मां की जय जय जय।।
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