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Tuesday, January 18, 2011

रात्रि प्रार्थना (शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में)

शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में

जल में, थल में और गगन में
अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में
औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में
सकल विश्व में अवचेतन में !
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में

शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन में
नगर, ग्राम में और भवन में
जीवमात्र के तन में, मन में
और जगती के हो कण कण में
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में
शांति कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में

7 comments:

Anonymous said...

Jay hind
Jay sri Ram

Anonymous said...

Jai hind jai bharat

Anonymous said...

Sangh ki sada hi jai ho

Shrawan kumar barik said...

जय श्री राम

Anonymous said...

thx

Anonymous said...

Nice

Anonymous said...

गूंज उठे भारत मां की जय जय जय।।